पॉप गाने के रीमिक्स पर विवाद, मानवाधिकार मंत्री ने कहा- यह क्लासिक सॉन्ग की हत्या

पाकिस्तान में एक गाने को लेकर विवाद हो रहा है। इस विवाद में इमरान सरकार की मानवाधिकार मंत्री, गायक और जनता भी कूद गई है। दरअसल, पिछले हफ्ते लाइव म्यूजिक टीवी शो कोक स्टूडियो में गायिका मोमिना मुस्तेहसन और रजा मीर ने क्लासिक पॉप सॉन्ग ‘को-को कोरीना’ का रीमिक्स वर्जन गाया।

सोशल मीडिया पर मंत्री के बयान और गायकों का मजाक उड़ाया गया
पाकिस्तान की मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने गाने को क्लासिक म्यूजिक की तबाही करार दिया। शिरीन ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, “भयानक! एक बेहतरीन गाने को तबाह कर दिया गया। आखिर क्यों कोक स्टूडियो ने अपने शो में एक क्लासिक सॉन्ग की हत्या होने दी।”

दोनों गायकों ने भी मंत्री की आलोचना का मुंहतोड़ जवाब दिया। मोमिना ने ट्वीट किया कि मंत्री को सार्वजनिक मंच पर अपनी बातों के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए। मोमिना ने फिल्म स्पाइडरमैन के डायलॉग का जिक्र करते हुए लिखा, “ज्यादा ताकत के साथ बड़ी जिम्मेदारी आती है। नए पाकिस्तान पर हमें नीचा मत दिखाइए।”

पाकिस्तान के लोगों ने लोगों ने मंत्री और गायक दोनों का जमकर मजाक उड़ाया। एक यूजर ने लिखा, “अगर मानवाधिकार मंत्री ने शिकायत की है तो ठीक होगी। गाना इतना बुरा था कि लोगों के अधिकारों का हनन हो रहा था।” एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘‘जिस वक्त नेताओं को देश की हालत देखनी चाहिए, उस वक्त वे गाने पर राय दे रहे हैं।’’

52 साल पुराना है मूल गाना
को-को कोरीना पाकिस्तान के लोकप्रिय गानों में से एक है। इसे 1966 में बनी पाकिस्तानी फिल्म अरमान में फिल्माया गया था। पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के रिपोर्टर रफाए महमूद कहते हैं कि रीमिक्स गाने में जिस तरह दोनों गायकों ने एक्टिंग की और कपड़े पहने हैं, वह कुछ ज्यादा दिखावे वाला लगता है।

अभिव्यक्ति में अलग-अलग शहरों के फेमस फूड आइटम के स्टॉल्स भी लगे हैं। इसमें उपवास के खिचड़ी, बड़ा तो है ही। इसके बाद ग्वालियर चाट का जबरदस्त स्वाद भी है। आखिर में फलहारी पान भी लगाया गया है। गरबा करने और देखने आए लोग ब्रेक मिलते ही फूड स्टॉल पर व्यंजनों का आनंद लेते नजर आए। ग्वालियर की चाट के साथ ही राजस्थानी और गुजराती थालियों का लुत्फ उठाया। सेल्फी जोन पर लोगों की भीड़ जुटी रही।

अभिव्यक्ति मोरे अंगना...
गरबा- अश्विन मास की नवरात्रि पर गुजरात में कच्ची मिट्‌टी के दीयों में दीपक जलाकर नृत्य किया जाता है।
डांडिया- देवी-दुर्गा और महिषासुर के बीच युद्ध का प्रतीक, जिसे नृत्य के रूप में दिखाया जाता है।
डांडिया रास- श्रीकृष्ण की लीलाओं का स्वरूप।
तीन ताली- मनुष्य अपनी इच्छाओं को हाथ की धव्नि से त्रिमूर्ति- ब्रह्मा, विष्णु, महेश तक पहुंचाता है।

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