अमरीका की पहली हिंदू सांसद बनना चाहती हैं अगला राष्ट्रपति

अमरीकी प्रांत हवाई की सांसद तुलसी गबार्ड साल 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवारी के लिए दावेदारी पेश करेंगी.

37 वर्षीय तुलसी गबार्ड का नाम अमरीका की डेमोक्रेटिक पार्टी के उन चुनिंदा नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने साल 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में हिलेरी क्लिंटन की जगह बर्नी सेंडर्स का समर्थन किया था.

साल 2016 में वो डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी में उपाध्यक्ष थीं. लेकिन सेंडर्स का समर्थन करने के बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.

साल 1981 में अमरीकी समोआ में पैदा हुईं तुलसी गबार्ड ने अमरीका में सबसे युवा निर्वाचित प्रतिनिधि बनने का इतिहास रचा था. तब वो 21 साल की थीं.

भारत से रिश्ता
स्टेट सीनेटर माइक गबार्ड की बेटी तुलसी ने पहले कार्यकाल में क्लीन एनर्जी को बढ़ावा देते हुए ऐसे कानून बनाए जाने का समर्थन किया, जिससे पवन और सौर ऊर्जा के लिए ज़रूरी उत्पादों को टैक्स से छूट मिल सके.

लेकिन इसके बाद तुलसी गबार्ड ने हवाई आर्मी नेशनल गार्ड सर्विस में शामिल होकर एक साल के लिए इराक़ युद्ध में अपनी सेवाएं दीं.

इसके साथ ही तुलसी गबार्ड ने 2011 में इंडोनेशियाई सेना के साथ पीसकीपिंग ट्रेनिंग में हिस्सा लिया.

साल 2015 में अमरीकी सेना में मेजर का पद हासिल करने वाली तुलसी गबार्ड वर्तमान में सेना से भी जुड़ी हुई हैं.

तुलसी गबार्ड ने जैसे ही अमरीकी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए दावेदारी पेश करने का इरादा जाहिर किया, भारत में उनका नाम ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा.

लेकिन अगर तुलसी के भारत से रिश्ते की बात की जाए तो तुलसी का भारत से कोई नाता नहीं है. उनके माता-पिता भी भारतीय मूल के नहीं हैं.

लेकिन हिंदू धर्म मानने की वजह से तुलसी गबार्ड को अमरीका में रह रहे भारतीय समुदाय का समर्थन मिलता रहा है. तुलसी के नाम अमरीकी संसद में पहुंचने वाली पहली हिंदू होने का रिकॉर्ड भी दर्ज है.

बीते साल अमरीकी न्यूज़ चैनल के एक कार्यक्रम में हिंदुओं के ख़िलाफ़ एक टिप्पणी पर उन्होंने कड़ा विरोध दर्ज किया था.

तुलसी गबार्ड को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़ास समर्थकों में गिना जाता है.

साल 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले ही वो मोदी का समर्थन करती रही हैं.

जब अमरीकी सरकार ने साल 2002 के गुजरात दंगों की वजह से तत्कालीन गुजरात सीएम नरेंद्र मोदी के अमरीका आने पर प्रतिबंध लगा दिया था तो तुलसी गबार्ड उन चुनिंदा नेताओं में शामिल थीं, जिन्होंने सरकार के इस फ़ैसले की आलोचना की थी.

इसके साथ ही जब प्रधानमंत्री मोदी न्यूयॉर्क पहुंचे थे तो उन्होंने तुलसी गबार्ड से मिलने के लिए समय निकाला था.

अब से कुछ साल पहले हिंदू रीति रिवाज़ों के साथ शादी करने वाली तुलसी गबार्ड प्रधानमंत्री मोदी की पहल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की समर्थक रही हैं.

कैसी है गबार्ड की राजनीति
अगर गबार्ड के राजनीतिक रुख की बात करें तो अमरीका में उनकी छवि एक ऐसे राजनेता की है, जिसे रिपब्लिकन पार्टी के लोग पसंद करते हैं और डेमोक्रेटिक पार्टी के लोग नियंत्रित नहीं कर पाते.

साल 2016 में बर्नी सेंडर्स का समर्थन करते हुए उन्होंने डीएनसी के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.

इसके बाद डेमोक्रेटिक पार्टी ने हिलेरी क्लिंटन को चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार बनाया था.

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